नयन - नीर से लिखी हुयी है जलधि-लहर की भाषा
पवन - पिया का साथ मिले तो करती नया तमाशा
करती नया तमाशा , ये तो इतराती बल खाती हैं
दूर - दूर तक दौड़ धरा पर , नया निकेत बनाती हैं
कितने जीवन निगल गया यह भूखा प्यासा फेलिन
'जय' कैसी ये लहरें जो सजल कर गई कोटि नयन ॥
No comments:
Post a Comment