(१ )
मेरे सुनहरे सपनों को , अब एक साथी मिल गया
मादक उमंगो की लहर का, एक माझी मिल गया
उँगली में मुँदरी डाल कर , 'जय' कहाँ पर खो गए
आज मेरे मन का आँगन,पुष्प-वन सा खिल गया
(२)
स्मृतियों में सघन बसी हो, हे परिणीते!
आप बिना 'जय' अंतर-मन हैं रीते रीते
हिरणी सी भर उच्च कुलाँचे आ जाओ
या साथ पवन के आओ मेरे जीते जीते
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