नन्ही कली बोलती है, आयी बहार
एकला है चन्दा, पर खुश है संसार
किसने कहा ..
मुझको सारा व्योम चाहिए ?
अँजुरी भर चाँदनी, ढेर सारा प्यार
नन्ही कली बोलती है, आयी बहार॥
सीलन भरे कक्ष में छोटी सी खिड़की
प्यार भरी वार्ता में मीठी सी झिड़की
मुझको रोज ...
गुस्सा भी आये न क्यों ?
गुस्से के बाद भली लगती मनुहार
नन्ही कली बोलती है, आयी बहार॥
रागिनी विलाप की कौन सुनेगा
आफतों में साहसी ही राह चुनेगा
क्या हुआ ...
जो धूप में पनाह नहीं 'जय'?
घिरने लगे मेघ अब आयेगी फुहार
नन्ही कली बोलती है, आयी बहार॥
रोज रोज मेघों से माँगू भी क्या
मैं हूँ परिधि और तुम हो त्रिज्या
केंद्र से ही ...
व्यास को नाप तो सकोगी ?
लम्बवत जहाँ भी हो, मैं हूँ आधार
नन्ही कली बोलती है, आयी बहार॥
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