Saturday, July 31, 2021

एकाकी चिन्तन



बैठ अकेला सोच रहा था
क्या खोया क्या पाया
अपनों की आशाओं को
क्यों न पूर्ण कर पाया

श्वासें झोंकी, थैली उलटी
और जला दी काया
अपनी-2 इच्छा जितना
उन्होंने मुझसे पाया

आज हुई कृशकाया मेरी
धन भी शेष नहीं है पास
अन्न और चीथड़े ले 'जय'
पास न कोई आया
बैठ अकेला सोच रहा था
क्या खोया क्या पाया

☺️खा ली पी ली 'जय' हो😊