kabhee - kabhee ~~~~ कभी - कभी
Friday, October 25, 2013
रू-बरू
क्यों दर्पणों के पास जाकर देखते हैं हम स्वयं को
मन के अंदर से निकालें
,
हम स्वयं से ही स्वयं को
किसलिए
'
जय
'
चाहते
हम
,
कल्पना
व
सपनों
को
हर किसी की कल्पना क्यों न बनाएं हम स्वयं को
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment