नदी के बीच मे खड़ा एक दरख़्त ..
जिसने अनेकों सैलाबों और
तूफानों को अपनी छाती पर सहा था ..
उसे कल
एक नन्ही सी लहर ने गिरा दिया ..
क्योंकि अब वह बूढ़ा जो हो गया था ..
जिसने अनेकों सैलाबों और
तूफानों को अपनी छाती पर सहा था ..
उसे कल
एक नन्ही सी लहर ने गिरा दिया ..
क्योंकि अब वह बूढ़ा जो हो गया था ..
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