Tuesday, November 12, 2019

नहायी सी नज़र

हमें उम्मीद थी उनसे
गिरह मन की वो खोलेंगे
होठों में कम्पन होगा 
व कण्ठ का बंधन तोड़ेंगे
मेरी आँखों से टकराये
नैन उनके तो बह निकले
नहायी सी नज़र बोली
तुन्हें 'जय' अब न छोड़ेंगे

Sunday, November 10, 2019

पिंजर

एक उछलता दरिया सुंदर
दूजा है गम्भीर समन्दर
एक शुभ्र पानी भरा बादल
दूजा श्यामल नीला अम्बर
एक बना आँधी मतवाली
दूजा शांत हो चुका बवंडर
दरिया-बादल-आँधी छुपकर
हिला गए सब 'जय' का पिंजर