मैंने सियाह रात
में देखी है चाँदनी
गम की सियाह रात
याद तेरी चाँदनी
गुलशन में खिले
फूल, हँसे सारा
ज़माना
सुन्दर सी काएनात
है मेरी चाँदनी
कोयल का कूजना
सुना, भौरों का
गूँजना भी
भाती है मुझे एक
सदा, तेरी
चाँदनी
ख़त में है क्या
लिखा मुझको नहीं पता
ख़त पे तेरा है नाम
मगर मेरी चाँदनी
रोशन है आफताब है
आँखे भी हैं खुली
फिर भी न दिखे 'जय' मुझे मेरी
चाँदनी
No comments:
Post a Comment