kabhee - kabhee ~~~~ कभी - कभी
Saturday, October 5, 2013
कब नदी ने जल पिया है, कब धरा ने बीज खाए
व्योम ने अपने लिए कब भानु-तारे-शशि सजाये
कब द्रुमों ने खाए हैं फल,कब छुपाये सिन्धु मोती
प्रकृति अपने लिए 'जय' कब मार्ग-पगडंडी बनाए
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