जब तक मानवता पर होगा भीषण अत्याचार नहीं
तब तक कोमल कण्ठों से निकलेगी फुफकार नहीं
जब तक आँखों में दया हृदय में क्षमा भरी हो 'जय '
तब तक युगल करों में होगी दोधारी तलवार नहीं॥
कभी देश के लिए मरे थे, आज धरम के लिए जियें
अपमान गरल पीते ही रहे, किन्तु और आगे न पियें
सहन शक्ति का घडा भर गया बिंदुमात्र स्वीकार नहीं
कर्तव्यपरायण बने किन्तु हम भूलेंगे अधिकार नहीं॥
क्यों क्षमा याचना करें, अरे! हम क्षमा दान देते हैं
हम प्राण न्योछावर करते हैं, हम शत्रु प्राण लेते हैं
आर्य हैं हम, गंभीर हैं हम, हममे उथले संस्कार नहीं
हम शरणागत के पालक हैं, घृणितों सा व्यवहार नहीं॥
भारत माँ के शीश पे आते पाक-पुजारी आतंकवादी
गौ माता के भक्षक हैं, कुछ श्याम-बदन पहने खादी
ये ढोंगी हैं, मक्कार भी हैं, है इन्हें किसी से प्यार नहीं
है इन्हें कुचलना सर्वप्रथम, ये कोई सर्वराकार नहीं॥
जब तक मानवता पर होगा भीषण अत्याचार नहीं
तब तक कोमल कण्ठों से निकलेगी फुफकार नहीं
जब तक आँखों में दया हृदय में क्षमा भरी हो 'जय '
तब तक युगल करों में होगी दोधारी तलवार नहीं॥
आपका हार्दिक आभार एवं धन्यवाद बन्धु।
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