जो जीवनभर साथ न छोड़े, मुझको ऐसा साथ चाहिए ।
जो प्राणांत तक हाथ न छोड़े, मुझको ऐसा हाथ चाहिए॥
दया करो इन अभिमानित, अति गौरवान्वित चेहरों पर
मानव का सम्मान कर सके मुझको ऐसा माथ चाहिए ॥
महल दुमहले मिट जायेंगे, जिनमे मानव-रक्त मिला है
बहुआयामी, चिर अस्थायी, मुझको यह फुटपाथ चाहिए॥
जिस प्रभात में होंवे दंगा, निरपराधी मारे जाएँ
ऐसे दिन के बदले मुझको, शान्ति भरी इक रात चाहिए॥
मर्यादित चेहरे भी करते, विषवमन और अति कटु प्रलाप
क्रोध पुञ्ज पर जल बरसाए, मुझको ऐसी बात चाहिए ॥
बंद करो यह गोली-पत्थर, बंद करो यह खून खराबा
परपीड़ा से 'जय' दुःख जाए, ऐसा कोमल गात चाहिए ॥
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