kabhee - kabhee ~~~~ कभी - कभी
Monday, October 21, 2013
चन्द्र-बिम्ब
मेघों के आँचल से चन्दा, मुझे बुलाता रह - रह कर
मंद पवन का झोंका मुझको , ले जाता अनजान डगर
मुझे पता है 'जय' बैठा है , कहीं किसी सरिता के तट पर
देख रहा है चन्द्र-बिम्ब में , मुझे अभी प्रति लहर - लहर
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