कोई फावड़ा, कोई तराजू, कोई इमली, कोई अनार
कोई कैमरा, कोई खड़ाऊँ, कोई लिए किताबें चार
कोई कैरम खेल रहा 'जय', कोई धक्का मारै कार।।
उगता सूरज, जलता दीपक, अर्धचंद्रमा और त्रिशूल
कोई चक्की, कोई भट्ठी, कोई लिए गुलाब का फूल,
जलती हुई मशाल लिए है औ कोई बल्ला-गेंद लिए
मतदाता की चुप्पी पर सोचे हर प्रत्याशी अपनी भूल।।
कहीं झोपड़ी, कहीं टोकरी, कहीं - कहीं पे खाट लिए
कोई ले दौड़ा है पतंग, कोई पाँच किलो का बाँट लिए
कोई गमला, कोई तबला, कोई कोई ले बाल्टी-लोटा
किसी के साथ में दस जन हैं कोई पाँच को साथ लिए।।
कोई सीसी रोड की माँग करे, कोई खड़ंजा दरवाजा पे
कोई हैंडपंप को माँग रहा, कोई चार कदम सबसे आगे
वे बोल रहे प्रत्याशी से, भइया! सुनि लेवो बात मेरी..!
गाँवसमाज का टुकड़ा वो नाम करयो मेरे लड़िका के।।
कहीं पे छाता, कहीं पे आरी, कहीं पे कन्नी पड़ी उतान
कहीं धूप में खड़ा हुआ है अनाज ओसाता हुआ किसान
टाइपराइटर, हाथी, घोड़ा, बाइसाइकिल, तीर - कमान,
भाँति भाँति के चिन्ह आये हैं, जिनसे चुनना है परधान।।