Monday, April 23, 2018

आत्मबल

मैं मनुज हूँ, मनुजता को  आज भी सहला रहा  हूँ 
इस जगत के एक ही सच, मृत्यु को बहला रहा हूँ 
'जय' स्वयं  को  दर्पणों के बीच रख कर कह रहा 
न  डरा  हूँ, न  गिरा  हूँ, ना  ही  मैं  घबरा  रहा  हूँ

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