Wednesday, April 25, 2018

अलसायी सी सुबह

सुबह अचानक नींद खुली और दरवाजा खोला तो सूरज की पहली किरण को सुनहरी साड़ी में सामने खड़ा पाया जो मुस्कुरा कर सुबह के दृश्य देखने का संकेत कर रही है। उनींदी आँखों से देखा तो चीड़ की झुकी डाल पर बैठी एक चिड़िया सुमधुर पहाड़ी धुन सुना रही है । ढलानदार शान्त सड़क अँगड़ाई ले रही है। नैना झील हल्की धुँध की चादर में लिपटी अपनी आँखे मसलती हुई दिखी । धुंध में डूबी पहाड़ की चोटियाँ सूरज का अभिनन्दन कर रही हैं । सभी कुछ अलसाया सा है सिवाय एक आवाज़ के जो होटल के बगल में बने बच्चों के स्कूल से आ रही है । सुबह की प्रार्थना के सम्मिलित स्वर यह बता रहे हैं कि अब हमारे आलस्य त्यागने का समय आ चुका है ।

नैनीताल में एक नई सुबह का स्वागत है ।

'जय' हो नैना देवी की ।

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