दुःख बड़ा ढीठ अतिथि है। यदि यह हमारे घर के लिए निकल पड़ा है तो आयेगा अवश्य। यदि हम इस अतिथि को आता हुआ देख कर घर का मुख्यद्वार बंद कर लेंगे तो यह घर के पिछले दरवाजे से आ जाएगा। यदि हमने पिछ्ला दरवाजा भी बंद कर दिया तो यह खिड़की से आ जाएगा। यदि खिड़की भी बंद कर लिया तो यह छत तोड़ कर या फिर आँगन के धरातल को फोड़ कर आ जाएगा। यह आयेगा अवश्य . . ढीठ है न।
उचित यही है कि हम दुःख के स्वागत के लिए जीवन में सदैव तैयार रहें। ऐसे समय में हमें यही सोचना चाहिए कि यह कितना भी ढीठ क्यों न हो एक न एक दिन तो चला ही जाएगा।
उचित यही है कि हम दुःख के स्वागत के लिए जीवन में सदैव तैयार रहें। ऐसे समय में हमें यही सोचना चाहिए कि यह कितना भी ढीठ क्यों न हो एक न एक दिन तो चला ही जाएगा।
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