kabhee - kabhee ~~~~ कभी - कभी
Friday, November 8, 2013
कैसे हो आदमी
चन्दा से दूर हो गयी है अब तो चाँदनी
दीपक पे क्रोध कर गयी है आज रोशनी
महफूज़ रख सकते नहीं गर आबरू को 'जय'
कैसी तुम्हारी शान है, कैसे हो आदमी
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