kabhee - kabhee ~~~~ कभी - कभी
Monday, November 11, 2013
परिणीते!
उषा से अरुणाई लेकर, तेरे मस्तक में रख दूँ
अम्बर से तारे लेकर मैं तेरे आँचल में भर दूँ
सच कहता हूँ परिणीते! मैं क्या न करना चाहूँ
कम्पित अधरों में तेरे 'जय' सागर को भर दूँ
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