Saturday, March 17, 2018

पूनम की रात

सिंधु ज्वार  उठ चला गगन तक, देखो किसे  बुलाने को
बाँह  पसारे निकट आ रहा, सागर  में  शशि समाने  को
तारों की गुपचुप बातें सुन, 'जय' लहरें शरम से  मुस्काईं
पवन  बह चली मदिर-मदिर, पूनम  की रात  सजाने को

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