अन्ना ने जब बिगुल उठाया, कहीं न कोई आहट उभरी
जैसे ही वह बिगुल बजा, जनजन में क्रान्तिलहर उभरी
जन-लहर सुनामी जैसी थी,दिल्ली की सड़कें उफन गई
नेताओं की लुटिया डूबी, फूट गयी 'जय' पाप की गगरी
जैसे ही वह बिगुल बजा, जनजन में क्रान्तिलहर उभरी
जन-लहर सुनामी जैसी थी,दिल्ली की सड़कें उफन गई
नेताओं की लुटिया डूबी, फूट गयी 'जय' पाप की गगरी
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