Tuesday, November 12, 2019

नहायी सी नज़र

हमें उम्मीद थी उनसे
गिरह मन की वो खोलेंगे
होठों में कम्पन होगा 
व कण्ठ का बंधन तोड़ेंगे
मेरी आँखों से टकराये
नैन उनके तो बह निकले
नहायी सी नज़र बोली
तुन्हें 'जय' अब न छोड़ेंगे

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