Wednesday, May 2, 2018

पिछले 80 दिनों की उपलब्धि



नाहक गर्व स्वयं पर करिये, सबल तो समय-परिंदा है
परोपकर से बड़ी खुशी नहिं, दुःख वृहद पर - निंदा है
मेरे संग परिवार खड़ा है, जीवन के इस काल-खंड में
मरा नहीं है अभी भी मित्रों! मत भूलो, 'जय' ज़िंदा है

No comments:

Post a Comment