Wednesday, October 13, 2010
पुष्प की व्यथा
वाह ! कभी मैं सुख का द्योतक !!
आह! कभी मैं दुःख का सूचक !!
कभी विजेता की उरमाला बन कर मैं इतराऊँ
कभी मृतक की देह से लगकर मोक्षप्राप्ति को जाऊँ
कभी देव के शीश चढ़ूँ और धन्य धन्य हो जाऊँ
कभी मानिनी की कोमल काया का भार उठाऊँ
मेरा जीवन पूर्ण समर्पित !!
वाह ! कभी मैं सुख का द्योतक !!
आह! कभी मैं दुःख का सूचक !!
कभी प्रेम के सत्यापन का मैं प्रतीक बन जाऊँ
कभी पुस्तकों में छिप करके मैं अतीत बन जाऊँ
कभी राष्ट्रों की परिभाषाओं में मैं लिख जाऊँ
कभी राष्ट्रनेता की मैं व्यक्तित्व छाप बन जाऊँ
सर्वकाल का 'जय' शुभचिंतक !!
वाह ! कभी मैं सुख का द्योतक !!
आह! कभी मैं दुःख का सूचक !!
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बहुत उम्दा पुष्प के मनोभाव!
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