बिरहन को ताप बढ्यो ऐसो, के बरस गयीं दोनों अँखियाँ
जब ढरकि चल्यो दृगजल गालन ते, भीजि गयीं चोली अंगिया
ना ताप पे शीत बिगरि जाए, अंगिया खोलि गयीं सखियाँ
कैसो यह तेरो प्यार है 'जय', मैं नेह में बन गयी जोगनिया
अब कौन सो बदला लेने लग्यो, मुझसे मेरो प्यारो बैरी पिया
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