हमारे नयन देखें जब तुम्हारी पलक में पानी
मानता मैं स्वयं को तब, जगत का तुच्छतम प्राणी
कहो तो आग में कूदूँ, रहूँ इसमें अहर्निश 'जय'
हमें तो आग से बढ़कर, जला देता है यह पानी
अहर्निश = दिन रात
मानता मैं स्वयं को तब, जगत का तुच्छतम प्राणी
कहो तो आग में कूदूँ, रहूँ इसमें अहर्निश 'जय'
हमें तो आग से बढ़कर, जला देता है यह पानी
अहर्निश = दिन रात
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