Wednesday, April 11, 2018

काल दर्शन




तिमिर मेघ बन गया है, चन्द्र सा बना है दीप
धैर्य मेघजल बना है, हृदय-कम्प बरखा-गीत
मन प्रचण्ड वायु सा, आस सुप्त  अग्नि  सी,
'जय' अभी समक्ष है, ना कि वो बना प्रतीक

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