kabhee - kabhee ~~~~ कभी - कभी
Friday, February 6, 2015
'अपने'
जब कभी होने लगे साकार सपने
लेने लगे छोटे - बड़े आकार सपने
छँट गयी एकांत की 'जय' धुंध तब
जुड़ गए हैं प्रेम का ले भार 'अपने'
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