kabhee - kabhee ~~~~ कभी - कभी
Saturday, May 3, 2014
हे तारक!
हे तारक! इठलाओ मत तुम, अभी टूट जाओगे
टूटे तारे! याद ये रखना, कभी चमक न पाओगे
रजनी 'जय' जाने वाली है,ऊषा ने बिखराई लाली
सौम्य रहे तो गगन-पटल पर साँझ पुनः आओगे
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment