Sunday, December 29, 2013

मुहब्बत की है मैंने भी



कभी आये अगर आँसू, तो आँखों में छुपा लूँगा 
गुनहगारों की महफ़िल में, अपना सिर झुका लूँगा
मुझे मेरे मुकद्दर से, कोई शिकवा नहीं है 'जय'
मुहब्बत की है मैंने भी, ये दुनिया को दिखा दूँगा 


चित्र सौजन्य : गूगल 

बड़ा प्यारा जहां सारा


हमें ख़्वाबों में जीने की 
कोई चाहत नहीं यारा !
हमें ख़्वाबों की दुनिया का 
बासिन्दा नहीं प्यारा,
नर्म ख़्वाबों में जीना क्या
हकीकत सख्त होती 'जय'
हकीकत रू-बरू हो तो
बड़ा प्यारा जहां सारा


चित्र सौजन्य : गूगल  

मुनासिब हो तो ......



मेरे  जानिब अगर  आना 
गिले-शिकवे सजा लाना,
मुनासिब  हो तो हाथों में 
कोई  पत्थर  उठा  लाना,
हुई   मुद्दत   मेरे  जानिब
कोइ  हमदम नहीं  आया,
ज़माने  बाद  खबर  आयी
तुम्हे 'जय' इस शहर आना 


चित्र सौजन्य : गूगल 

Monday, December 9, 2013

जय हो !


जय हो !

लूट लिया जनता का पैसा, कहते हो जय हो ! 
घोटालों की सजी दुकाने, कहते हो जय हो !!
नोटों पर है बिछा बिछौना, नींद नहीं फिर भी,
काला धन मुस्कुरा रहा है, कहते हो जय हो !!

व्यभिचारों का तना चँदोवा, कहते हो जय हो !
आँख का पानी बेंच रहे हो, कहते हो जय हो !! 
सरे-राह लुट रही आबरू, बेटी और बहनों की, 
भारत माँ को नोच रहे हो, कहते हो जय हो !!

जाति-पाँति में बाँट देश को, कहते हो जय हो !
मँहगाई में जीवन सस्ता, कहते हो जय हो !!
रोजगार के लिए भटकते रहते लाखों 'जय'
लैपटाप - टैबलेट बाँट कर, कहते हो जय हो !!