Saturday, September 28, 2013

तुम अपनी मुस्कराहट को

तुम अपनी मुस्कराहट को छुपा लोगे, ये हम माने
तुम अपने अश्क आँखों में छुपा पाओ तो हम जाने

सभी गिन लेते हैं उडती हुयी चिड़िया के पर लेकिन
रिमझिम में नचते मोर के गिनो गर पंख, हम जाने

तुम्हारे लाख जलवों को देखा हमने जी भर कर 
हमारे इक नज़ारे को जो तुम देखो तो हम जाने

हिदायत हम को देते हो कि सपनों से अलग रहना
अलग अपनों से दो पल को अगर होवो तो हम जाने

गले तुम सबके मिलते हो अपना क्या पराया क्या
मेरी बाहें खुली कब से, समा जाओ तो हम जाने

हमें तुम फूल कहते 'जय',व खुद को जलता अंगारा

मेरी उंगली जो जल जाए तुम्हे छूकर तो हम जाने 

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