Saturday, September 28, 2013

इस नदी के तलहटी के

इस नदी के तलहटी के , पत्थरों को देखिये /
आधारभूत पर्वतों के , दलदलों को देखिये //

तुम बसंत देख कर , गुनगुना रहे हो आज ,
पृष्ठभूमि के अनेक , पतझड़ों को देखिये //

पुष्प की सुगंध , छवि , मन को मोहने लगी ,
डाल पर छिपे , नुकीले , कंटकों को देखिये //

इस धरा की उच्चतम , अट्टालिकाएं देख कर ,
अब रसा के नींव के , रसातलों को देखिये //

सूखते सरित प्रवाह , लाख सत्य हों मगर ,
सागरों में आ रही , सुनामियों को देखिये //

व्योम चूमते हुए ये , धूम केतु क्षणिक हैं ,
राख में दबी हुयी , चिंगारियों को देखिये //

किसीकी ओर कर रहे , संकेत काल में स्वयं
अपनी ओर देखती, इन उँगलियों को देखिये //

तुम किसी को दुःख दो , ये सोचने के पूर्व ' जय '
निज ह्रदय प्रकोष्ठ की , उदासियों को देखिये //

1 comment:

  1. तुम नदी के तलहटी के , पत्थरों को देखिये /


    -विन्यास में कुछ गड़बड़ है..फिर से पढ़िये.

    तुम की जगह इन करके देखें! सलाह मात्र है.


    -

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