Saturday, September 28, 2013

अन्ना ने जब बिगुल उठाया, कहीं न कोई आहट उभरी 
जैसे ही वह बिगुल बजा, जनजन में क्रान्तिलहर उभरी 
जन-लहर सुनामी जैसी थी,दिल्ली की सड़कें उफन गई 
नेताओं की लुटिया डूबी, फूट गयी 'जय' पाप की गगरी

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